समय की महानता (Importance of Time Management)
दोस्तों आज मेरा ये टॉपिक समय की महानता (Importance of Time) के विषय में है जो आपके जीवन के लिए बेहद जरुरी है | क्या आपने कभी सोचा है की आज कल हमें समय की इतनी कमी क्यों महसूस होती है| समय पर काम न करने या होने पर हम झल्ला जाते हैं| आगबबूला हो जाते हैं चिढ़ जाते हैं तनाव में आ जाते है समय कि कमी के कारण हम लगभग हर पल जल्दबाजी और हड़बड़ी में रहते हैं| जिससे हमारा ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है लोगों से हमारे सम्बन्ध ख़राब हो जाते हैं हमारा मानसिक संतुलन गड़बड़ा जाता है और कई बार तो दुर्घटनाएं हो जाती हैं|क्या आपने कभी सोचा है कि हमारे पूर्वजों को कभी टाइम मैनेजमेंट की जरुरत नहीं पढ़ती थी तो फिर हमें क्यों पड़ रही है? क्या हमारे पूर्वजों को दिन में 48 घंटे मिलते थे ? आप भी जानते हैं और मैं भी जनता हूँ कि ऐसा नहीं है | हर पीढ़ी को एक दिन में 24 घंटे का समय ही मिलता है | लेकिन 20वीं सदी की शुरुआत से हमारे जीवन में समय कम पढ़ने लगा है और यह समस्या दिनोदिन बढती ही जा रही है| बड़ी अजीव बात है क्योंकि 20वीं सदी की शुरुआत से ही मनुष्य समय बचने बाले नए नए उपकरण बनता जा रहा है | पहले जीवन सरल था और अब जटिल हो चूका है यही हमारी समस्या का मूल कारण है | पहले जीवन की रफ़्तार धीमी थी, लेकिन अब तेज़ हो चुकी है | अब हमारे जीवन में इन्टरनेट आ गया है जो पलक झपकते ही हमें दुनिया से जोड़ देता है | अब हमारे जीवन में टीवी आ चूका है जिसका बटन दबाते ही हम दुनिया भर की ख़बरें जान लेते हैं | अब हमारे पास कारें और हवाई जहाज हैं जिनसे हम तेज़ी से कहीं भी पहुँच सकते हैं अब हमारे पास 5जी मोबाइल्स हैं जिनसे हम दुनिया में कहीं भी किसी से भी जुड़ सकते हैं, बात कर सकते हैं तथा उसे देख भी सकते हैं | आधुनिक अविष्कारों ने हमारे जीवन की गति बढ़ा दी है शायद आधुनिक आविष्कार ही हमारे जीवन में समय की कमी का सबसे बड़ा कारण हैं | इनकी बदौलत हम दुनिया से तो जुड़ गए हैं लेकिन शायद खुद से दूर हो गए हैं | यदि आप किसी तरह आधुनिक अविष्कारों से मुक्ति पा लें और दोबारा पुराने ज़माने की जीवन शैली अपना लें, तो आपको काफी सुविधा होगी | नहीं.... नहीं .... मैं यहाँ चूल्हे पर रोटी पकाने या मुंबई से दिल्ली तक पैदाल जाने की बात नहीं कर रहा हूँ मैं तो केबल यह कहना चाहता हूँ कि मोबाइल, टीवी, इन्टरनेट, चैटिंग आदि समय बर्बाद करने वाले अविष्कारों का इस्तेमाल कम कर दें या अत्यधिक जरुरत पर ही इस्तेमाल करें | पहले घड़ी हमारे जीवन पर हावी नहीं हुई थी और इसका सीधा सा कारन यह था की ज्यादातर लोगों के पास घडी थी ही नहीं | पहले अलार्म घड़ी की कोई जरुरत ही नहीं थी मुर्गे की बांग ही काफी थी | तब 8:18 की लोकल पकड़ने का कोई तनाव नहीं रहता था | तब कोई काम सुबह 9 बजे शुरू हो या सवा नौ बजे कोई विशेष फर्क नहीं पड़ता था .... लेकिन आज बहुत फर्क पड़ता हैं |
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