केन्द्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा (CTET)
सी.टी.ई.टी. क्या है? इसके विषय में विस्तार से बताते हैं
जिस प्रकार प्रवक्ता बनने के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (वर्तमान में केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ) द्वारा संचालित नेशनल एलिजिबिलिटी टेस्ट (नेट) की परीक्षा उत्तीर्ण करना अनिवार्य है उसी प्रकार मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने द्वारा 23 अगस्त 2010 को एक सूचना जारी कर राजकीय एवं निजी विद्यालयों में प्राथमिक एवं प्रशिक्षित स्नातक शिक्षक बनने के लिए अब सेंट्रल टीचर एलिजिबिलिटी टेस्ट (सी.टी.ई.टी.) उत्तीर्ण करना अनिवार्य कर दिया गया है | ये नियम सभी राज्यों में लागू होगा | 25 अगस्त 2010 से पहले के प्राथमिक एवं प्रशिक्षित स्नातक शिक्षक की सभी रिक्तियों पर इस नियम का अनुसरण किये बिना भारती किया जा सकता था, किन्तु इस तिथि के बाद से इस पद की सभी रिक्तियों पर भर्ती के लिए सी.टी.ई.टी. उत्तीर्ण करना अनिवार्य है | केन्द्रीय स्तर पर सी.टी.ई.टी. के सम्बन्ध में दिशा निर्देश जारी करने एवं इसे संचालित करने की जिम्मेदारी केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड को सौंप दी गयी है| एम. सी.टी.ई. में दिए गए निर्देशों के अनुसार राज्य एवं केंद्र सरकार द्वारा कम से कम वर्ष में एक बार सी.टी.ई.टी. संचालित करना अनिवार्य हो गया है | शिक्षण पात्रता परीक्षा को उत्तीर्ण करने वाले अभ्यर्थियों को एक प्रमाण पत्र दिया जायेगा | जो 7 वर्ष तक वैध होगा | प्रमाण पत्र प्राप्त करने के बाद भी व्यक्ति बेहतर परिणाम के लिए जब एवं जितनी बार चाहे इस परीक्षा में बैठ सकता है | निजी एवं राजकीय विद्यालयों के पुराने प्राथमिक एवं प्रशिक्षित स्नातक शिक्षकों के लिए यह परीक्षा उत्तीर्ण करना अनिवार्य नहीं है किन्तु यदि पुराने विद्यालय को छोड़कर नए विद्यालय में नियुक्ति चाहने की स्थिति में उनके लिए सी.टी.ई.टी. प्रमाण पत्र प्राप्त करना अनिवार्य होगा | प्राथमिक शिक्षा में आवश्यक सुधार एवं शिक्षा की गुणवत्ता बेहतर करने के लिए ऐसे शिक्षकों की आवश्यकता है जो शिक्षण की जिम्मेदारी का ईमानदारी पूर्वक निर्वाह कर सकें| केबल अकादमिक योग्यता से यह निश्चित नहीं किया जा सकता कि व्यक्ति वास्तव में शिक्षक बनने के योग्य है या नहीं | इसी कारण मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने केन्द्रीय स्तर पर सेंट्रल टीचर एलिजिबिलिटी टेस्ट (केन्द्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा) संचालित करने का निर्णय लिया | और इसे संचालित करने की जिम्मेदारी केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड को सौंप दी गयी है|
शिक्षक के रूप में करियर के प्रति आकर्षण
हमारे देश में शिक्षक को अत्यधिक सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है| ये विद्यार्थियों के केवल गुरु ही नहीं बल्कि मार्गदर्शक एवं सलाहकार भी होते हैं| यही कारण है कि बच्चों के करियर निर्माण द्वारा देश की प्रगति में सीधा योगदान करने की भावना शिक्षकों को अपने कार्य के प्रति संतुष्टि प्रदान करती है| छठे वेतन आयोग की सिफारिशों के लागू होने के बाद शिक्षकों के वेतन में भी काफी बृद्धि हुई है| अध्यापन एक ऐसा क्षेत्र है जिसमें जितनी चुनोतियाँ हैं उतनी ही संतुष्टि एवं आराम भी, रोजगार के अन्य क्षेत्रों की तुलना में एक अध्यापक को कम घंटे (प्रतिदिन 6 से 7 घंटे) कार्य करना पड़ता है, जबकि अन्य सभी क्षेत्रों में प्रतिदिन 8 से 9 घंटे कार्य करना पड़ता है| काम के कम घंटे के साथ-साथ डेढ़ दो महीने का ग्रीष्मकालीन अवकाश एवं सभी राजपत्रित अवकाश भी इन्हें मिलते हैं| इतनी सारी छुट्टियाँ किसी और क्षेत्र के कर्मियों को नहीं मिलती हैं| इस तरह काम के कम घंटे एवं अधिक अवकाश के कारण एक शिक्षक को अपने घर परिवार समाज के साथ रहने और अपने शौक को पूरा करने के लिए पर्याप्त समय मिलता है| शिक्षा के अधिकार अधिनियम, 2009 के अनुसार शिक्षक एवं छात्र के अनुपात 1:30 को राष्ट्रिय स्तर पर पूरा करने के लिए वर्तमान शिक्षकों के अतिरिक्त 5 लाख से अधिक नए शिक्षकों की भारती की आवश्यकता है| सातवें अखिल भारतीय सर्वेक्षण के अनुसार आने वाले 5 वर्षों में 9वीं एवं 10वीं कक्षा में नामकरण अनुपात 75% के लक्ष्य को पूरा करने के लिए 2012-13 तक माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक विद्यालयों में 32.2 लाख शिक्षकों की आवश्यकता होगी|
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