The Principles of Piaget Kohlberg and Vygotsky
जीन पियाजे का संज्ञानात्मक विकास का सिद्धान्त
पियाजे द्वारा प्रतिपादित संज्ञानात्मक विकास की अवस्थायें
अवस्था | सन्निकट आयु | विशेषताएँ |
संवेदी-प्रेरक | 0-2 वर्ष | शिशु संवेदी अनुभवों का शारीरिक क्रियाओं के साथ समन्वय करते हुए संसार का अन्वेषण करता है। |
पूर्व संक्रियात्मक | 2-7 वर्ष | प्रतीकात्मक विचार विकसित होते हैं; वस्तु स्थायित्व उत्पन्न होते हैं, बच्चा वस्तु के विभिन्न भौतिक गुणों को समन्वित नहीं कर पाते हैं। |
मूर्त संक्रियात्मक | 7-11 वर्ष | बच्चा मूर्त घटनाओं के सम्बन्ध में युक्तिसंगत सकता है और वस्तुओं को विभिन्न समूहों में वर्गीकृत कर सकता है। वस्तुओं की मानस प्रतिमाओं पर प्रतिवर्तनीय मानसिक प्रक्रियाएं करने में सक्षम होता है। |
औपचारिक संक्रियात्मक | 11-15 वर्ष | किशोर तर्क का अनुप्रयोग अधिक अमूर्त रूप से कर सकते हैं, परिकल्पनात्मक चिंतन विकसित होते हैं। |
कोहलबर्ग का नैतिक विकास का सिद्धांत
कोह्लबर्ग के अनुसार नैतिक विकास के स्तर तथा सोपान
- पूर्व परंपरागत स्तर (Pre-Conventional Level) - आत्मकेंद्रित निर्णयों के अंतर्गत दो सोपान (Level) होते हैं।
- दंड तथा आज्ञा पालन अभिमुखता (Punishment and Obedience Orientation)
- यांत्रिक सापेक्षिक अभिमुखता (Instrument Relativist Orientation)
- परंपरागत स्तर (Conventional Level)
- परस्पर एकरूप अभिमुखता (Interpersonal Concordance Orientation)
- अधिकार संरक्षण अभिमुखता (Authority-Maintaining Orientation)
- उत्तर परंपरागत स्तर (Post-Conventional Level)
- सामाजिक अनुबंध विधि समस्त अभिमुखता (Social Contract Legalistic Orientation)
- सार्वभौमिक नैतिक सिद्धांत अभिमुखता (Universal Ethical Principle Orientation)
The Principles of Piaget Kohlberg and Vygotsky
Reviewed by Deepa Kaithvas
on
Saturday, October 17, 2020
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